राहुल गांधी का पुंछ दौरा: “ख़तरे के बीच भी उम्मीद ज़िंदा रहे!”

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बाद, कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शनिवार को पुंछ पहुंचे। यह उनका हमले के बाद जम्मू-कश्मीर का दूसरा दौरा था।

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पीड़ित परिवारों से मुलाकात

पुंछ में राहुल गांधी ने उन परिवारों से मुलाकात की, जो सीमा पार से पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में प्रभावित हुए हैं। उनके चेहरे गंभीर थे, लेकिन आंखों में करुणा और सहानुभूति भी साफ झलक रही थी।

“आपने ख़तरा और थोड़ी भयावह स्थिति देखी है, लेकिन चिंता न करें, सब कुछ सामान्य हो जाएगा,”
– राहुल गांधी, पुंछ में छात्रों को संबोधित करते हुए

बच्चों को दिया हौसला

राहुल गांधी ने खासतौर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका जवाब इस स्थिति को “ख़ौफ़” से नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत, खेल, और मित्रता से देना चाहिए।

यह संदेश एक राजनीतिक नेता की नहीं, बल्कि एक बड़े भाई या मेंटर की तरह था — जिसने न सिर्फ उनकी मुश्किल समझी, बल्कि एक सकारात्मक दिशा भी दिखाई।

पहलगाम हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आत्मघाती हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की।

10 मई तक दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव चला। हालांकि हालात अब नियंत्रण में हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर तनाव और भय अभी भी जीवित हैं

राजनीतिक ज़िम्मेदारी

राहुल गांधी का यह दौरा केवल एक राजनीतिक यात्रा नहीं थी — यह भावनात्मक उपस्थिति थी। पीड़ितों के बीच जाकर उनका हाल जानना, बच्चों को मोटिवेट करना, और जनता के साथ खड़ा दिखना — यह सब इस बात का संकेत है कि राजनीति सिर्फ भाषणों की नहीं, सहानुभूति की भी होनी चाहिए।

जम्मू-कश्मीर की जमीनी सच्चाई और छात्रों के बीच उम्मीद जगाने की कोशिश में राहुल गांधी ने साफ संकेत दिया —“हालात कितने भी कठिन हों, शिक्षा और भाईचारा ही जवाब है।”

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